SFS 2nd Conference

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Tuesday, January 26, 2016

वायदा-खिलाफ़ी कर रहे पी.यू.प्रशासन का विरोध करें और अधिकारों के लिए संघर्ष तेज़ करें !

पंजाब यूनिवर्सिटी में विद्यार्थियों को कई प्रकार की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है । इन्हीं मुद्दों को लेकर पिछले सत्र की शुरुआत में विद्यार्थियों द्वारा संघर्ष किया गया। प्रशासन की तरफ़ से मांगे तो मान ली गयी परन्तु उस पर कभी कार्यवाही नहीं की गयी या फिर अधूरा छोड़ दिया गया ।

अधिकारी कैंपस में शैक्षणिक माहौल को स्थापित करने के दावे करते हैं । पर इसके लिए जो कदम प्रशासन को उठाने चाहिए, उन्हीं के लिए विद्यार्थियों को संघर्ष करता पड़ता है। यूनिवर्सिटी परिसर में वी.आई.पी कल्चर (संस्कृति) को समाप्त करने और शैक्षणिकमाहौल को स्थापित करने के लिए चार-पहिया वाहन को बंद करने की मांग उठायी गयी थी ।इस मुद्दे पर विद्यार्थियों की राय जानने के लिए प्रशासन ने जनमत संग्रह(वोटिंग) करवाया था । जिसमें चारपहिया वाहन बंद करने के हक में स्पष्ट रूप से बहुमत मिला । पर प्रशासन ने अब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं की है ।पहले तो एक पार्किंग कॉमेटी बना कर इस मामले को सिर्फ़ ट्रैफिक नियन्त्रण करने तक सीमित करने की कोशिश की गयी परन्तु फिर उस पर भी गौर नहीं किया गया । असलियत में प्रशासन के अच्छे माहौल बनाने के दावों पर भी संदेह होता है ।


यौन उत्पीड़न (sexual harassment) के मुद्दे पर भी संघर्ष हुआ और पी.यू.कैश (पंजाब यूनिवर्सिटी कॉमेटी यौन उत्पीड़न के विरोध के लिए)[PUCASH (Panjab University committee against Sexual Harassment)] के लोकतांत्रिकरनकी मांग हुई ।एक परामर्श कॉमेटी बनाने पर भी सहमति हुई । प्रत्येक हॉस्टल में वोटों के माध्यम से लड़कियों की एक केंद्रीय कॉमेटी बनानी थी । इस कॉमेटी ने पी.यू .कैश के बराबर काम करते हुए पीड़ित की सहायता करनी थी । साथ ही में इन मसलों को लेकर जागरूकता फ़ैलाने के लिए वर्कशॉप, विचार–गोष्ठी भी करवाने थे ।पहले तो प्रशासन ने इसको लागु करने के लिए देरी की,फिर होस्टलों में वोट करवाने की जिम्मेवारी वार्डनों पर ही छोड़ दी गयी ।जिसके तहत वार्डनों ने बिना वोट डलवाये अपने चहेतों को चुन लिया। अब प्रशासन केन्द्रीय कॉमेटी बनाने में भी ढील कर रहा है । दरअसल प्रशासन कॉमेटी के लोकतांत्रिकरन और विद्यार्थियों की सहभागिता से कतरा रहा है ।

लड़कियों के हॉस्टल में वापिस लौटने का समय निश्चित होने के कारण उन्हें रात में लाइब्रेरी जाने के लिए परेशानी होती है । इस मामले पर लड़कियों को रात के समय लाइब्रेरी आने-जाने के लिए स्पष्ट तंत्र (mechanism) बनाने की बात हुई थी जिस पर भी प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया ।

पिछले समय से लगातार प्रशासन की वायदा-खिलाफ़ी का मामला सामने आ रहा है । विद्यार्थियों के रोष से घबराते हुए एक बार तो मांगे मान ली जाती है पर बाद में टाल-मटोल किया जाता है ।

नये खुल रहे कोर्सों की जरूरत मुताबिक नये हॉस्टल नहीं बन रहे। हॉस्टल सीटें जरूरत से भी ज्यादा कम है और बहुत से विद्यार्थियों को पी.जी. में रहना पड़ता है जिन के खर्चें ज्यादातर विद्यार्थियों के बस से बाहर है । कई विद्यार्थी रोज़ाना आधार (Daily Basis) पर अपने दोस्तों के साथ हॉस्टल में रहते हैं । रोज़ाना आधार पर रहने की फीस 75 रूपये प्रति दिन है और बिजली-पानी का खर्चा अलग से है ।जब विद्यार्थी बाकी दोनों विद्यार्थियों की सहमति से उनके कमरे में रहता है तब इतनी फीस क्यों ली जाती है ?बल्कि प्रशासन को तो इस समस्या के हल के लिए नये हॉस्टल बनाने चाहिए। पर प्रशासन उल्टा विद्यार्थियों से ही ज्यादा किराया ले रहा है ।

एक ओर हॉस्टल की सीटें कम है तथा दूसरी ओर सीटों के वितरण में बहुत पर्दा है । सत्र की शुरुआत में ही विभागों में कुछ सीटें निर्धारित होती है जो मैरिट के आधार पर बांटी जाती है ।बहुत से विद्यार्थी प्रतीक्षा सूची (waiting list) में ही रह जाते है। मगर बाद में सीटें मर्ज़ी मुताबिक विद्यार्थी संघठनों और चहेतों को बाँट दी जाती है। हॉस्टल वितरण में पारदर्शिता की जरूरत है ।

लम्बे समय से नियमित कोर्सों की सीटें कम की जा रही है । जबकि हर साल दाखिले के लिए आते फॉर्म्स की गिनती बढ़ती जा रही है ।मैरिट के नाम पर बड़ी गिनती को दाखिला देने से इंकार कर दिया जाता है जबकि असल खोट तो शिक्षा नीति में है ।सरकारों की तरफ़ से लगातार शिक्षा के लिए फंड कम किया जा रहा है । दूसरी ओर नये स्वयं-वित्तीय(self financed) कोर्स खोल कर सरकारी संस्थायों के अंदर शिक्षा का व्यापारीकरण किया जा रहा है ।

दोस्तों, पिछले समय से जैसे शिक्षा पर खर्च को कम करते हुए इसका व्यापारीकरण किया जा रहा है वैसे ही विद्यार्थी संघर्ष तेज़हो रहे है । हमारे कैंपस में भी चाहे वो मैस-डाइट के रेट में वृद्धि हो या फिर फीसों में, विद्यार्थियों ने संघर्ष किये और पुलिस के ज़बर विरुद्ध भी डटे रहे । 

यह सब भांपते हुए प्रशासन ने अपना रवैया बदला है । मांगे मान कर पीछे हटने का तरीका,संघर्षों को नाकाम करने के लिए प्रयोग किया जा रहा है ।पर प्रशासन के इन दांवपेंचों को नंगा करते हुए ओर ज्यादा दृढ़ता और एकता से संघर्ष करने की जरूरत है ।

दोस्तों, इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए एस.फ.एस.(SFS) सारे विद्यार्थियों को नीचे लिखी मांगों पर साथ देने की अपील करती है।

मांगें :-
  1. जनमत-संग्रह(Referendum) के फ़ैसले मुताबिक़ कैंपस के अंदर चारपहिया वाहन पर रोक लगाई जाये।
  2. पहले हुई सहमति मुताबिक़ केंद्रीय परामर्श कॉमेटी(Central Consultative Committee) बनाई जाये।
  3. लड़कियों के लिए रात के समय लाइब्रेरी आने-जाने के लिए आसान तंत्र(Mechanism) तैयार किया जाये ।
  4. होस्टलों में रोज़ाना आधार (Daily-Basis) पर रहते विद्यार्थियों की फीस कम की जाये ।
  5. हॉस्टल सीटों के वितरण में पारदर्शिता लाई जाये ।
  6. Regular कोर्सों की सीटों में वृद्धि की जाये और Self-financed कोर्सों को Regular किया जाये।

दोस्तों , अब फिर प्रशासन फंड की कमी के नाम पर फ़ीसें बढ़ाने का तर्क दे रहा है जिसका अब से ही विरोध करना चाहिए ।
28जनवरी (वीरवार) को इन्हीं मुद्दों पर एक रैली की जा रही है । एस.फ.एस.(SFS) सारे विद्यार्थियों को इस रैली में शामिल होने के लिए अपील करती है ।