SFS 2nd Conference

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Saturday, August 31, 2013

OPPOSE THE GROWING ATTACKS ON THE ARTISTS AND CULTURAL ACTIVISTS AND RAISE VOICE AGAINST SUPPRESSION OF FREEDOM OF EXPRESSION

OPPOSE THE GROWING ATTACKS ON THE ARTISTS AND CULTURAL ACTIVISTS !!!

 RAISE VOICE AGAINST SUPPRESSION OF FREEDOM OF EXPRESSION !!!

JOIN PROTEST ON 3 SEPTEMBER AT 5 pm AT SECTOR-17 PLAZA, CHANDIGARH !!!









जनकलाकारों पर बढ़ते हमले के खिलाफ अपील

सेर भर कबाब हो, एक अद्धा शराब हो, नूरजहां का राज हो,
खुब हो, खुब हो, खुब हो, भले ही खराब हो
कोर्इ प्रजा है कोर्इ तंत्र है यहां आदमी के खिलाफ आदमी का खुला षड़यंत्र है

आज का दौर भी धुमिल के इन ब्दों जैसा ही चल रहा है। इसकी ताजा मिसाल हाल की कुछ घटनाएं हैं जब सरकारी अमले ने संप्रदायिक ताकतों से मिलकर उन कलाकारों की आवाज दबाने की कोषिष की, जो जनता के दु: दर्द - तकलीफ से जुड़कर उसे अभिव्यक्त कर रहे थे। गौरतलब है अंध विश्वास की खिलाफत करने वाले नरेंद्र डभोलकर की श्रद्धांजली सभा के मौके पर फिल्म एंड टेलिविजन इंस्टिटयूट ऑफ इंडिया (एफटीआर्इआर्इ) पूणे, महाराष्ट्र के छात्र जब फिल्म आर्कार्इव में जय भीम कामरेड नामक डाक्यूमैंट्री फिल्म प्रदर्षित कर रहे थे, तो एक सम्प्रदायिक विचारधारा वाले छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिशद् के सदस्यों ने एफटीआर्इआर्इ के छात्रों पर यह कहकर हमला कर दिया कि उन्होंनें प्रसिद्ध डाक्यूमैंट्री निर्देषक आन्नद पटवर्धन और जन पक्षीय सांस्कृतिक संगठन कबीर कला मंच को उस सभा में क्यों बुलाया था। इस हमलें में एफटीआर्इआर्इ के कर्इ छात्रों को गहरी चोट लगी। शासन-प्रषासन ने दोशी व्यक्तियों पर कार्रवार्इ करने की बजाय घटना के विरोध में किए जाने वाले विरोध प्रदर्षनों पर भी अलोकतान्त्रिक तरीके से पाबंदी लगा दी।
महाराष्ट्र पुलिस ने जनकलाकार जेएनयू के छात्र हेम मिश्रा को उस समय गिरफ्तार कर लिया जब वह इलाज कराने के लिए महाराश्ट्र के गढ़चिरौली जिले में जा रहे थे। हेम मिश्रा पिछले पंद्रह सालों से जनता के मुद्दों पर नाटक और गीतों के जरिए आवाज उठाते रहे  हैं। उन्हें कर्इ दिन गैर कानूनी हिरासत में रखने के बाद उन पर झूठ आरोपों में संगीन धाराएं लगा दी। उन्हें केवल तभी कोर्ट में पेष किया गया जब देष भर के कलाकारों और बुद्धिजीवियों ने उनके पक्ष आवाज उठार्इ। इसी तरह 30 अगस्त को आदिवासी जन सांस्कृतिककर्मी उत्पल बास्के, इस्पात हेम्ब्राम और विश्वनाथ को उनके परिजनों या मित्रों को कोर्इ सूचना दिए बगैर झारखंड पुलिस ने गैर कानूनी तरीके से गिरफ्तार कर लिया और ही उन्हें किसी अदालत में पेष किया गया है।
उपरोक्त घटनाएं उसी कड़ी का हिस्सा हैं जिसमें लोकतांत्रिक अपराधियों द्वारा सफदर हाषमी का कत्ल कर दिया गया; आदिवासी जनकलाकार जीतन मरांडी को फांसी की दहलीज तक पहुंचाया गया; कबीर कला मंच के सदस्यों के साथ मार पीट की गर्इ और झूठे आरोपों में जेल भेज दिया गया, जिसमें से कर्इ कलाकार आज भी जेल में बंद हैं। आज का दौर कुछ ऐसे रास्ते पर आगे बढ़ रहा है जिसमें भारत एक ऐसे लोकतांत्रिक सामाजिक और आर्थिक ढांचे में ढल रहा है जिसमें असहमति, विरोध और तार्किकता की कोर्इ जगह नहीं है। जनता के हक में आवाज उठाने वाले जनकलाकारों को सरकार प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से दबाने की कोषिष करती है और साम्प्रदायिक ताकतें भी इस जोर-जब़र में सक्रिय भूमिका अदा करती है।
हम सभी कलाकारों और कलापे्रमियों, बुद्धिजीवियों और जनता से अपील करते हैं कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगातार किए जा रहे हमलों की खिलाफत करें ताकि सही मायनों में लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित समाज को कायम रखा जा सके जिसमें राजनैतिक, सामाजिक, व्यक्तिगत, साम्प्रदायिक भेदभाव एवं उत्पीड़न के लिए कोर्इ जगह हो तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला करने वाले साम्प्रदयिक ताकतों पर सख्त कार्रवार्इ करने और गैर कानूनी ढ़ंग से गिरफ्तार सांस्कृतिक कर्मी की बेषर्त रिहार्इ के लिए आवाज उठांए।
अभी वही है निजामे-कोहना, अभी तो जुल्मों-सितम वही है
अभी मैं किस तरह मुस्कराऊं अभी तो रंजो-अलम वही है

अपीलकर्ता - लोकायत, पंजाब लोक सभ्याचार मंच, गुंफन फॉर आर्ट, चंडीगढ़ स्कूल ऑफ ड्रामा, अलंकार थियेटर, स्टूडेंट्स फॉर सोसाइटी, चंडीगढ़। सम्पर्क : 9814693368, 9988306080, 9779110201