दोस्तों
जैसे की हम जानते है की पिछले साल फीस बढ़ोतरी के खिलाफ संघर्ष कर रहे विधार्थियों
के ऊपर लाठीचार्ज किया गया और 9 विधार्थियों के ऊपर झूठे CASE डाले गए | उस समय
विद्यार्थियों के तीखे संघर्ष को देखते हुए VC ने माफ़ी
मांगी और AUTHORITY ने वादा
किया था कि CASE वापस ले लिए जायेंगे | पर वो CASE अभी भी
चल रहे है, जिसके चलते उन विद्यार्थियों को अभी HARASS होना पड़
रहा है | 22 तारीख को करे गए PROTEST के जवाब
में AUTHORITY ने यह लिखकर विशवास दिलाया है कि V.C. झूठे CASE रद्द
करने के लिए चंडीगढ़ पुलिस को चिठ्ठी लिखेगा | परन्तु
चंडीगढ़ प्रशासन पर दबाव डालने के और भी कदम उठाने जरुरी है जिसके तहत RALLY निकलने के साथ-साथ, विधार्थियों के हस्ताक्षर के साथ UT ADMINISTRATOR को झूठे CASE की वापसी
के लिए मांगपत्र दिया ज़ा रहा है |
दोस्तों
इस बार university फीसो में फिर से 5 % की बढ़ोतरी कर रही है और जिस
का अंतिम फैसला 26 APRIL को होनी वाली SENATE मीटिंग में होगा | अगर देखा
जाये P.U. में हर साल फीस का बढ़ना एक सिलसिला सा बनता जा
रहा है | पिछले साल P .U प्रशासन
ने 20-25% फीसे बढ़ाने की कोशिश की मगर विधार्थियों के संघर्ष को देखते हुए उन्हें
अपना फैसला वापिस लेना पड़ा | पर बाद
में यह कहते हुए की तीन साल तक फीसो में कोई बढ़ोतरी नहीं होगी, बड़ी
चालाकी से EXAM के समय फीसो में 5% की बढ़ोतरी कर दी | P.U. प्रशासन
विधार्थियों की एकता तोड़ने के लिए हमेशा यही प्रचार करता है कि फीसो में बढ़ोतरी
मामूली सी है और सिर्फ नए session में आने वाले विधार्थियों के लिए है ,पर हमे
इस सारे मसले को इतना घटा कर नहीं देखना चाहिए और ना ही सिर्फ भ्रस्टाचार तक सीमित
करना चाहिए | बल्कि इसको बड़े पैमाना पर देखना चाहिए | पर अगर
कोई भ्रस्टाचार का मामला आता है तो उसपर सख्त कार्यवाही होनी चाहिए| P .U प्रशासन
हर बार university के घाटे की पूर्ति के लिए सरकारों पर दबाव न
डालने की जगह अपना जोर विधार्थियों पर निकाल रही है | एक तरफ
तो Punjab सरकार कई सालो से 20 करोड के fund पर रुकी
हुई है | तो दूसरी तरफ केंद्र सरकार हर साल विद्या पर होने
वाले खर्च में कटोती कर रही है | इस साल ‘सबका साथ और सबका विकास’ का नारा
देने वाली केंद्र सरकार ने विद्या पर होने वाले खर्च में से 11 हजार करोड की कटोती
की है | केंद्र सरकारे लम्बे समय से university को अपने खर्चे आप जुटाने की सलाह दे रही है, जिसके
चलते हमारी university में 2000 के बाद सिर्फ self - finance कोर्स ही खोले गए है और regular कोर्स
में से सीटें घटाई जा राही है | हम जानते है कि इन self - finance कोर्सो की फीस प्राइवेट कोलेजो के लगभग बराबर है | इस के
आगे बड़ते हुए केंद्र सरकर प्राइवेट कोलेजों और universities को मान्यता दे रही है| जिसके
चलते देशभर में शिक्षा को एक बाजारू वस्तु बनाया जा रहा है| इस तरह
फीसो की बढ़ोतरी का मसला “शिक्षा के बाजारीकरण और व्यापारीकरण” के साथ जुड़ा है |
पहले ही
हमारे देश के अन्दर उच्च शिक्षा बहुत ही थोड़े तबके की पहुच तक है| सरकारी
आंकड़ों के मुताबिक 12TH class के बाद
88% विद्यार्थी पढाई छोड़ देते है, जिसका
बड़ा कारन उनकी खराब आर्थिक हालत है | अगर इस
तरह ही शिक्षा महँगी होती गई तो शिक्षा middle class के हाथ
से भी बाहर हो जाएगी और एक दिन विद्या कुछ लोगो तक सीमित होकर रह जाएगी | किसी भी
देश के विकास के लिए शिक्षा का बहुत अहम योगदान होता है | हमे
भूलना नहीं चाहिए की विद्या कोई बिकने वाली वस्तु नहीं है, ये हमारा
हक़ है इसलिए हम सब को एकजुट हो कर इस फीस बढ़ोतरी का विरोध करते हुए P .U प्रशासन
पर दबाव डालना चाहिए की वह अपने घाटे की पूर्ति के लिए सरकारों से fund की मांग
करे न की विद्यार्थियों की जेबे काटे |
OPPOSE FEE HIKE!! OPPOSE FALSE
CASES !!
STUDENTS UNITY ZINDABAD!!
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