पटेल आन्दोलन: आरक्षण के विरोध में एक
मुहीम; दलित और पिछड़ी श्रेणी के अधिकारो पर
हमला |
दलित आदिवासी और पिछड़ी
जाति के आरक्षण के हक में खड़े हों |
लोगों की समस्याओं के असल
कारण नव उदारवादी नीतियों का विरोध करे |
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पिछले कुछ दिनों से गुजरात का युवक हार्दिक पटेल बहुत चर्चा में है | गुजरात का सबसे आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक तौर पर सक्षम भाईचारा आज जाति के
आधार पर OBC (अन्य पिछड़ी श्रेणियो) में
खुद को शामिल करने की माँग कर रहा है | 25 अगस्त को अहमदाबाद में लाखों की गिनती में पटेल
भाईचारे की तरफ से प्रदर्शन किया गया | हार्दिक पटेल की गिरफतारी होने पर उसके समर्थक भड़क
उठे और उनके द्वारा तोड़–फोड़ भी की गयी | अब पटेल आरक्षण के संघर्ष में गुज्जर और जाट समुदाय को शामिल
करने के लिए इनके साथ बातचीत कर रहे हैं और इसके साथ यह भी यह नारा दे रहे हैं कि "हमें नहीं तो किसी और को भी नहीं” | स्वयं को “पिछड़ा
कहलवाने” की माँग करने के लिए हार्दिक पटेल के समर्थक महँगी गाड़ियों पर सवार होकर
आन्दोलन करने आते हैं और इन की रैलियों में अक्सर ही आरक्षण के खिलाफ नारे सुनने
को मिलते हैं | इस के साथ ही सोशल-मीडिया पर आरक्षण के विरोध में लहर चलाई जा रही
है और प्रधानमंत्री को भेजने के लिए ऑन्लाइन पैटीशन चल रही हैं | पर इस सब में आरक्षण का
तर्क कहीं पीछे छूट गया है, जिस पर विचारचर्चाकरना
बहुत ज़रूरी है | आइए इस पर बात करते हैं |
आरक्षण क्यों ?
भारत में दलित, आदिवासी और पिछड़ी श्रेणियों के लिए सरकारी शैक्षणिक संस्थानों और नौकरी के साथ-साथ
चुनावी इलाकों में आरक्षित सिटें रखी जाती हैं | कारण यह है की पिछले 2000 सालों से
भारत में स्थापित जाती व्यवस्था के कारण “नीचली” कहे जाने वाली जातियों पर जुल्म किए
गए | इनके साथ हर दर्जे का भेदभाव किया गया और हर प्रकार के अधिकारों से इन्हें
दूर रखा गया | जमीन अथवा और सम्पत्ति
रखने का कोई अधिकार नहीं , पढाई करने कि इनको कोई इज़ाज़त नहीं और सिर्फ़
परिश्रम-मज़दूरी, सफाई और manual-scavening (सिर पर लोगो का
मल-मूत्र ढ़ोना) जैसे काम इन पर थोपे गए | “साफ-सुथरे” और “इज्ज़तदार” काम तथाकथित
ऊँची जातियों के हिस्से रहे | इस व्यवस्था के कारण पीड़ित जातियों के लोगों को अपने
आपको विकसित करने के अवसर नहीं मिले और उनका बोद्धिक विकास पिछड़ा रहा | नया संविधान
लागू होने पर पीड़ित जातियों की पहचान अनुसूचित जाति (sc), अनुसूचित जनजाति (ST) और
अन्य पिछड़ी श्रेणीयो (OBC) के रूप में की गई और शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण की
नीति अपनाई गई | फिर 1980 मंडल कमीशन ने अपनी रिपोर्ट जारी की, उसके अनुरूप भारत में 15 % (SC), 7.5 % (ST) और 52 % OBC जनसंखया है और इनके लिए आरक्षण 15 % SC, 7.5 % ST और 27 % OBC रखा और आरक्षण पर 50 % की सीमा लगा दी गई | आरक्षण जातीय व्यवस्था से मुक्ति दिलाने के लिए किस हद तक
कामयाब रहा है यह अलग बहस है पर असल में यह पीड़ित जातियों के लोगों को आगे बढ़ने का
मौका देता है और “ऊँची“ जाति की चौधर और सामाजिक दबदबे को चुनोती देता है | यह भी
सच्चाई है कि आरक्षण अभी तक सही तरीक़े से लागू नहीं किया गया जिसके असंख्य
उदाहरणों हमारे समक्ष है |
क्या पटेल समुदाय को OBC
में शामिल करना बनता है ? मंडल कमीशन द्वारा तय पिछड़ा होने का पैमाना : मंडल कमीशन ने किसी भी समुदाय के
पिछड़ा होने के लिए समाजिक ,शैक्षणिक और आर्थिक श्रेणियाँ के अंदर 11 पैमाने लगाये, जिसके कुल 22 अंक रखे गये | जिस समुदाय के 11 या 11 से अधिक अंक बनते उसको पिछड़ा माना गया | मंडल कमीशन ने 3743 जातियों को पिछड़ा माना और अब
केंद्र की सूची में 5000 से अधिक पिछड़ी जातिया हैं |
अगर हम पटेल समुदाय की बात करे तो वह इस पैमाने में कहीं भी सही नहीं बैठते |
पटेल ज़मींदार रहे हैं और
गुजरात में हीरे, सिरामिक(ceramics) और कपड़े के व्यपार पर इनका कब्ज़ा है | गुजरात के लघु और मध्यम
उद्योग का 40 % हिस्सा इनके हाथो में है | बारदोली गन्ना फ़ैकटरी
में सब से बड़ा हिस्सा पटेलों का है, जिसके एक शेयर की कीमत लगभग 2.10 लाख रु है | गुजरात में बड़ी गिनती में पटेलों के पराईवेट शैक्षणिक संस्थान है
| REAL ESTATE और PHARMA सेक्टर पर पटेलों का कब्ज़ा है | अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार
की बात करें तो अमेरिका में 22 हजार होटल और मोटल भारतीयों के हैं, यह 128 बिलीअन डॉलर का कारोबार है जिसका 70 % हिस्सा पटेलों के पास है | इसके अलावा पटेल राजनीति में भी हावी हैं, गुजरात
में पटेलों की संख्या क़रीब 12 % है | वर्तमान गुजरात STATE ASSEMBLY में भाजपा के 120 विधायकों में से 40 पटेल है | मुख्य मंत्री अनंदीबेन पटेल और 7 कैबिनेट मिनिसटर पटेल है |
यह आन्दोलन क्या है ?
अगर आन्दोलन की गतीविधियों पर नज़र डालें तो बहुत सवाल खड़े हो जाते हैं | यह
कोई हरानी वाली बात नहीं है कि हार्दिक पटेल ने कभी भी OBC कमीशन को मिलने का
प्रयास नहीं किया | फिर 25 अगस्त के प्रदर्शन के लिए GMDC का मैदान सिर्फ 1 रु में दिया गया | लोग बड़ी गिनती में पहुँचे इस के लिए टोल टैक्स नही लगया गया | हार्दिक के
द्वारा भारत को एक हिंदू देश कहना, बाल ठाकरे और परवीन तोगड़ीआ की तारीफें करना, शिव सेना के द्वारा
हार्दिक पटेल को गुजरात का हीरो कहना, यह काफी कुझ बयान करता है | इस आन्दोलन के पीछे कौन है, इसके
अलग-अलग अंदाज़े
लगाये जा रहे हैं पर आन्दोलन का हिन्दुत्ववादी चहरा सबके सामने है जो की ना सिर्फ
दलित और पिछड़ी श्रेणी के विरोधी हैं बल्कि मुस्लिम विरोधी भी है |
यह बात स्पष्ट है कि
लोगों को बहकाया किया जा रहा | जिस गुजरात मॉडल को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा था, वह मॉडल लोगों के लिए
घातक सिद्ध हो रहा है और यह लोगों की मुश्किलों को और बढ़ा रहा है | नव-उदारवाद की
नीतियों पर चलते हुए सरकार लगातार निजीकरण को बढ़ावा दे रही है | सरकार अपनी
भूमिका, नये प्रोजेक्ट लगा कर नौकरियां पैदा करने की जगह, निजी (खास तौर पर
विदेशी) पूँजी का रास्ता आसान करने में देख रही है | इसी वजह से लघु और मध्यम
उद्योग खत्म हो रहे हैं | नव-उदारवाद का मॉडल रोज़गार के अवसर उत्पन्न करने में
असफल रहा है इसलिए बुद्धिजीवी इसको Jobless growth (नौकरी रहित विकास) कह रहे हैं | इन्ही नीतिओं के चलते शिक्षा और रोज़गार के
अवसर कम हो रहे हैं | इसी के साथ कृषि संकट गहरा हो चुका है जिसके चलते किसान
आतम-हत्याएं बढ़ रहीं हैं
|
लोगों की समस्या का
मुख्य कारण सरकार की नव-उदारवादी नीतियां हैं | लोगों के हकों को छीना जा रहा है पर
लोग सरकार की ओर निशाना न बनायें इसलिए लोगों को इन तरह के मामलों में उलझाया जा
रहा है | देश के अंदर फिरकापरस्ती बढ़ रही है, धार्मिक कट्टरता को हवा दी जा रही
है, प्रत्येक प्रकार के मतभेद अथवा विरोध को कुचला जा रहा है, देश की विभिन्नता को नकारते हुए सब पर सामान
संस्कृति थोपने का प्रयास किया जा रहा है | जहाँ एक तरफ निजीकारण के तहत सार्वजनिक संस्थानों को
खत्म करते हुए दलित और पिछड़ी श्रेणीओं के आरक्षण के हक़ को खत्म किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर बचे हुए
सरकारी अदारों में से आरक्षण को हटाने के लिए इस तरह के आन्दोलन उभारे जा रहे हैं
और लोगों का धर्म और जाति के नाम पर ध्रुवीकरण किया जा रहा है |
समाज
का एक सुचेत वर्ग होने के नाते हमारा यह फ़र्ज बनता है कि समाज के दबे-कुचले वर्ग
के हकों के पक्ष में खड़े हों और आरक्षण का समर्थन करें | धर्म या जाति के नाम पर
लोगों का ध्रुविकर्ण करने वाली ताकतों को नंगा कर समाज से अलग करें | सरकार की
लोग-विरोधी की निंदा करते हुए, इनके खिलाफ़ संघर्ष करें |